इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया और सुन्नी समुदाय के बीच जारी हिंसा में बीते एक सप्ताह में ही 64 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यहां जमीन विवाद को लेकर हिंसा ने तूल पकड़ लिया है। अफगानिस्तान की सीमा से सटे आतंक प्रभावित कुर्रम जिले में हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही है। एक महीने पहले ही यहां सीजफायर का समझौता किया गया था। बावजूद इसके यहां खूनी झड़प रोकी नहीं जा सकी हैं।
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के गवर्नर फैसल करीम कुंडी ने कहा कि शुक्रवार को भी खूनी झड़प हुईं जिनमें कई लोगों की मौत हो गई। पुलिस का कहना है कि यह झगड़ा जमीन को लेकर शुरू हुआ। ऊपरी कुर्रम इलाके के बोशेहरा शिया जब सुन्नी अहमदजाई समुदाय के लोगों की जमीन पर बंकर बनाने लगे तो इसका विरोध शुरू हो गया। इसके बाद हिंसा की आग पूरे इलाके में फैल गई और कई मकानों को आग लगा दी गई। जगह-जगह हुई झड़प में लाठी, डंडे और गोला-बारूद चल गए जिसमें दर्जनों लोग मारे गए। वैसे करीब 10 साल से यहां शिया और सुन्नी के बीच तनाव बना ही रहता है।
इससे पहले भी हिंसा में लगभग 50 लोगों की मौत हो गई थी। विवाद को गहराता देख सरकार ने दखल देकर दोनों समुदायों के बीच अगस्त महीने में समझौता करवाया था। सुरक्षा अधइकारियों का कहना है कि फिर भड़की हिंसा की वजह से यातायात प्रभावित हुआ है। इसके आलावा खाने-पीने के सामान की सप्लाई भी कम हो गई है। लोगों को फ्यूल और दवाई के लिए भी तरसना पड़ रहा है। हिंसा की वजह से शैक्षिक संस्थान बंद कर दिए गए हैं।
कुर्रम पहाड़ी इलाका है और इसकी बॉर्डर अफगानिस्तान के साथ लगती है। यहां करीब सात लाख लोग रहते हैं जिनमें से 42 % शिया समुदाय से हैं। लगभग 24 करोड़ की आबादी वाले सुन्नी बहुल पाकिस्तान में पाराचिनार शहर के आसपास सुन्नियों की संख्या ज्यादा है। यहां पर जातीय हिंसा लंबे समय से चली आ रही है।
बीते सप्ताह शनिवार को शुरू हुई हिंसा गुरुवार को छठे दिन भी जारी रहीं। पुलिस के अनुसार, दोनों पक्ष छोटे-बड़े हथियारों से एक-दूसरे को निशाना बना रहे हैं। तनाव के चलते पाराचिनार-पेशावर मुख्य सड़क और पाक-अफगान खारलाची सीमा बंद हो गई है। इससे भोजन, ईंधन और दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित है।
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