इस्लामाबाद । विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि यदि सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की ‘‘तीन बुराइयों पर आधारित होंगी तो व्यापार, ऊर्जा और संपर्क सुविधा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की संभावना नहीं है. जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि व्यापार और संपर्क पहल में क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए और भरोसे की कमी पर ‘‘ईमानदारी से बातचीत करना आवश्यक है.
विदेश मंत्री ने इस्लामाबाद में आयोजित एससीओ देशों के एक शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. इस सम्मेलन की अध्यक्षता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने की. सम्मेलन में चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग समेत अन्य नेता भी मौजूद थे.
जयशंकर ने ये टिप्पणियां पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच जारी सैन्य गतिरोध और हिंद महासागर एवं अन्य रणनीतिक जलक्षेत्रों में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत को लेकर चिंताओं के बीच की.
सम्मेलन से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शरीफ ने जयशंकर से हाथ मिलाया और शिखर सम्मेलन स्थल ‘जिन्ना कन्वेंशन सेंटर में उनका और एससीओ के अन्य सदस्य देशों के नेताओं का गर्मजोशी से स्वागत किया. शरीफ और जयशंकर ने कल रात्रिभोज के दौरान भी हाथ मिलाया और संक्षिप्त बातचीत की.
सम्मेलन में अपने संबोधन में जयशंकर ने आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की तीन बुराइयों से निपटने सहित कई चुनौतियों पर चिंता जताई.
उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, ‘‘यदि सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से जुड़ी हैं तो उनके साथ-साथ व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, संपर्क और लोगों के बीच आपसी लेन-देन को बढ़ावा मिलने की संभावना नहीं है.
इस्लामाबाद से रवाना होने से पहले जयशंकर ने ‘एक्स पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री शरीफ और पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार को धन्यवाद दिया, जिसे पाकिस्तान के वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने एससीओ के शासन प्रमुखों की परिषद की बैठक को भी ‘सार्थक बताया.
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