1 जुलाई 2024 से लागू होने वाले भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के संबंध में पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार द्वारा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष प्रस्तुतीकरण किया गया। प्रस्तुतीकरण में विस्तारपूर्वक नए कानूनों की आवश्यकता, इन्हें बनाने हेतु किए गए प्रयासों और इनकी विशेषताओं के बारे में जानकारी दी गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड पुलिस हस्तपुस्तिका का विमोचन भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन नए कानूनों में जो प्राविधान किए गए हैं, इन कानूनों के लागू होने के बाद प्रदेश में इनका सही तरीके से क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा। इन कानूनों की जानकारी के लिए प्रशिक्षण की पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी और आम जन को इन कानूनों की जानकारी के लिए विभिन्न माध्यमों से कानूनों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा।
पुलिस महानिदेशक ने जानकारी दी कि देश में 1 जुलाई 2024 से इन कानूनों को लागू किया जाने का प्रस्ताव है। इन कानूनों के गठन के लिए 18 राज्य, 6 केंद्र शासित प्रदेश, सुप्रीम कोर्ट, 16 उच्च न्यायालय न्यायाधीश, 5 न्यायिक अकादमियां, 22 कानून विश्वविद्यालय, 142 संसद सदस्यों, और लगभग 270 विधायकों द्वारा जनता द्वारा दिए गए सुझावों के आधार पर 4 वर्षों में गहन परीक्षण किया गया है और इन्हें तैयार किया गया है। इन नए कानूनों का मुख्य लक्ष्य न्याय, समानता, और निष्पक्षता पर केंद्रित है। भारतीय न्याय संहिता 2023 में कुल 358 धाराएं होंगी जबकि वर्तमान कानून में यह 511 हैं। इसमें 21 नई धाराओं को जोड़ा गया है, 41 धाराओं में सजा को बढ़ाया गया है, 82 धाराओं में फाइन को बढ़ाया गया है, 25 धाराओं में न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है, 06 धाराओं में सामुदायिक अपराधों को जोड़ा गया है, और 19 धाराओं को हटा दिया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में 531 धाराएं होंगी जबकि वर्तमान कानून में यह 484 हैं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में कुल 170 धाराएं हैं, वर्तमान कानून में 166 धाराएं हैं।