वॉशिंगटन । अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हाल ही में दो बार हमले के प्रयास हुए है, जिससे सुरक्षा प्रोटोकॉल और अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खडे हुए हैं। ट्रंप के बेटे ने हाल ही में बयान जारी किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके पिता ट्रंप से नफरत करते हैं, लेकिन ऐसी नफरत हिंसा की ओर ले जाने वाली नहीं है। बयान से यह स्पष्ट होता है कि ट्रंप के विरोधी अमेरिका में व्यापक हैं, जैसा कि हालिया चुनावी सर्वेक्षणों में दिखाई दिया है। हालाँकि, ट्रंप पर हुए हमलों के बाद सोशल मीडिया पर बहस कम नजर आ रही है। पहले हमले के दौरान सोशल मीडिया पर यह चर्चा थी कि क्या ट्रंप ने खुद पर हमला करवाकर सहानुभूति हासिल करने की कोशिश की। इस बार के हमले के बाद, राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने हमले की निंदा कर ट्रंप की सुरक्षा में संतोष जताया है। भारत में भी जब किसी उम्मीदवार पर हमला होता है, तब सवाल उठते हैं कि क्या यह हमला स्वयं प्रायोजित किया गया है। भारतीय राजनीति में कभी-कभी छोटे-मोटे ओहदे वाले लोग सुरक्षा पाने के लिए इस तरह के हमले प्रायोजित करते हैं।
पहले हमले में, ट्रंप के कान के पास से एक खतरनाक राइफल की गोली निकली थी, इस हमले में उनके कान से खून बहने लगा था। इसके एक महीने बाद ही ट्रंप पर दूसरी बार हमला हुआ। इससे राष्ट्रपति की सुरक्षा एजेंसी की प्रभावशीलता पर सवाल उठने लगे हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति को धरती का सबसे ताकतवर व्यक्ति माना जाता है, और उनकी सुरक्षा के लिए सुरक्षा एजेंसी के पास कठोर प्रोटोकॉल होते हैं। एजेंट्स प्रशिक्षित होते हैं कि वे किसी भी हमले की स्थिति में अपने शरीर का घेरा बना कर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की सुरक्षा करें। इन हमलों और सुरक्षा चूक की जांच से ही यह स्पष्ट होगा कि सुरक्षा प्रोटोकॉल में कहीं खामियां हैं या नहीं।
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